सहारनपुर में वह काफी समय अपने दादाजी के मकान में रहे, उसमे ईंटो का फर्श था जिसपर झाडूं-पोचा लगाना उसे सिखाया गया.
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सहारनपुर में वह काफी समय अपने दादाजी के मकान में रहे, उसमे ईंटो का फर्श था जिसपर झाडूं-पोचा लगाना उसे सिखाया गया. पानी के लिए हैण्ड-पम्प था.जब मम्मी कपड़े धोने के लिए बैठती तो नल चलाकर टब में पानी भरना उसकी जिम्मेदारी थी.
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सहारनपुर में वह काफी समय अपने दादाजी के मकान में रहे, उसमे ईंटो का फर्श था जिसपर झाडूं-पोचा लगाना उसे सिखाया गया. पानी के लिए हैण्ड-पम्प था. जब मम्मी कपड़े धोने के लिए बैठती तो नल चलाकर टब में पानी भरना उसकी जिम्मेदारी थी.